प्रचलित कथाओं के अनुसार कहा जाता है कि एक रात माता महाकाली देवी जी ने राजा को स्वप्न में दर्शन दिए, राजा रघबीर सिंह ने उन्हें अपनी व्यथा सुनाई कि इतने वैभव के बावजूद भी मेरे मन में अशांति रहती है। उन्होंने मां से प्रार्थना की कि मुझे इस विपत्ति से मुक्ति दिलाएं, तब माता महाकाली जी ने उन्हें आदेश दिया कि वे शहर के उत्तर-पूर्व की ओर मंदिर बनवाएं और उसमें उनकी मूर्ति स्थापित करें। स्वप्न में मिले माता महाकाली जी के आदेश के अनुसार राजा रघबीर सिंह ने नवनिर्मित नगर के उत्तर-पूर्व में एक भव्य मंदिर और सरोवर का निर्माण करवाया। कहा जाता है कि राजा रघबीर सिंह स्वयं कसावती पत्थर से बनी माता की मूर्ति कलकत्ता से लाए थे और यहां लाकर पारंपरिक धार्मिक अनुष्ठानों के साथ उस मूर्ति की प्राण-प्रतिष्ठा करवाई गई थी। 
पारिवारिक और सामाजिक दुख सुख के कार्यों के लिए समाज को समर्पित किया गया है। यह पूरी तरह ऐ सी (AC) हाल है। एक स्टेज बनी हुई है। 1200 लोगों के लिए हैं, इसको बुक करने के लिए मैनेजर, मंदिर श्री महाकाली सभा से संपर्क किया जा सकता हैं।

फ्री डिस्पेंसरी हर शनिवार को शाम 4:00 बजे से कुछ सहयोगी सज्जनों के सहयोग से चलाई जाती है। यहां पर कोई भी आकर अपनी बीमारी के लिए डॉक्टर साहब से मिल सकता है और दवाई ले सकता है। फ्री मेडिकल कैंप भी लगाए जाते हैं इसकी सूचना समय-समय पर दी जाती है।

यह भवन नई सुविधाओ के साथ बनाया गया है जो सामाजिक और पारिवारिक कार्यों के लिए समाज को समर्पित किया गया है | यहां पर आप 1000-1200 लोगों के साथ अपना कार्य कर सकते हैं इसके लिए मंदिर श्री महाकाली सभा से संपर्क किया जा सकता हैं। इसमें रसोई की व्यवस्था अलग है |
यहां पर बच्चों के मनोरंजन की पूरी व्यवस्था की गई है। सभा द्वारा बच्चों के आनंद लेने के लिए भिन्न-भिन्न प्रकार के झूले लगाए गए हैं, जिस में बच्चे अपने परिवार के साथ आकर खेल कूद कर सकते हैं और साथ में मंदिर में हरियाली का आनंद भी ले सकते हैं |
मंदिर श्री महाकाली सभा द्वारा प्रत्येक शनिवार को श्रद्धालुओं के सहयोग से लंगर लगाया जाता है। आप भी अपने परिवार के किसी सदस्य के जन्मदिन या सालगिरह पर यह लंगर लगवा सकते हैं | इसके लिए सभा से संपर्क किया जा सकता है |
प्रबंधक कमेटी मंदिर श्री महाकाली सभा बहुत ही धार्मिक भावनाओं से प्रेरित है और प्रत्येक त्यौहार को बड़ी धूमधाम से मनाते हैं। इनके द्वारा पारिवारिक और सामाजिक कार्यक्रम भी किए जाते है । शक्ति भवन में रोजाना सुबह और शाम योगा क्लासे लगाई जाती है ।मंदिर में हर शनिवार और मंगलवार शाम को कीर्तन होता है ।माता जी के नवरात्रों में मंदिर में भक्तों की दर्शनों के लिए लाइने लगती है। संगरूर शहर में नवरात्रों में सप्तमी का मेला बहुत धूम धाम से लगता है जिस में दो-तीन घंटे लाइन में लगने के बाद ही दर्शन होते हैं । लाइनों में लगकर भगत जन माता जी का भजन करते है। नवरात्रों में रोजाना सुबह से रात्रि तक बहुत से लंगर भक्तों द्वारा लगाए जाते हैं। अष्टमी के दिन भगत जन मंदिर में आकर अष्टमी और कंजकों की पूजा करते हैं इस दिन रात्रि को माता जी की चौकी लगाई जाती है जिस में भगत जन आ कर माता जी का आशीर्वाद प्राप्त करते है |